भारतीय पूर्व दाएं हाथ के बल्लेबाज अनिल कुंबले के संन्यास लेने के बाद भारतीय स्पिन विभाग के अगुआ बने हरभजन सिंह के लिए अभी सबसे बडी चुनौती इस नयी जिम्मेदारी को बखूबी संभालना है। पूर्व क्रिकेटरों का मानना है कि टर्बनेटर प्रत्येक मैच में अपने विकेट की संख्या बढाकर ही अपनी नई भूमिका के साथ पूरी तरह न्याय कर पाएंगे। 3 जुलाई 1980 को जालंघर में जन्में हरभजन को अपने पदार्पण से ही कुंबले के रूप में सीनियर साथी मिला लेकिन अब स्थिति बदल गई है। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि सहयोगी स्पिनर से मुख्य फिरकी गेंदबाज की भूमिका में आए हरभजन की वास्तविक परीक्षा अब होगी लिहाजा उनकी जिम्मेदारी बहुत बढ गई है।
अपने जमाने के प्रसिद्ध वामहस्त स्पिनर मनिंदर सिंह ने हरभजन की नई जिम्मेदारी के बारे में कहा कि टर्बनेटर पर दायित्व और दबाव जरूर बढ गया है। उन्होंने कहा कि हरभजन को अब सहायक गेंदबाज नहीं बल्कि नेतृत्व कर्ता के रूप में गेंदबाजी करके ज्यादा से ज्यादा विकेट लेने होगे। मनिंदर ने कहा कि "हरभजन अब टीम क मुख्य स्पिनर है और उन्हें कुंबले की भूमिका निभानी होगी।
अब उन्हें 2-3 विकेट नही बल्कि 4-5 विकेट लेने होंगे।" गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में आस्टे्रलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृखला के बाद अनिल कुंबल ने विकेट से संन्यास ने लिया था। उसके बाद खेले गए पांच टेस्ट में हरभजन ने 25.91 के औसत से 24 विकेट लिए है। कुंबले के विकल्प के बारे में पूछे जाने पर मनिंदर ने कहा कि कुंबले का कोई विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कुछ नए स्पिनर सामने आए है जिनमें काफी क्षमता है।
इनमें अमित मिश्रा का नाम प्रमुख है। दूसरी ओर, भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके एक अन्य ऑफ स्पिनर निखिल चोपडा का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खिलाडी पर दबाव तों होता ही है, अब हरभजन की जिम्मेदारी बढ गई है और उन्हे कुंबले की जगह लेनी होगी।
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