Saturday, July 4, 2009

मेरे गुरू और कोच सतपाल : सुशील

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता सुशील कुमार ने प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए मची होड के बीच आज साफ किया कि उनके कोच एशियाई चैपियन महाबली सतपाल है। जिन्होंने उन्हें 11 साल की उम्र में इस खेल का ककहरा सिखाया था। सुशील ने औपचारिक बातचीत में कहा कि मेरे गुरू और कोच सतपाल है। मुझे कुश्ती के दांवपेंच शुरू से ही उन्होंने सिखायें और मै आज उन्ही की वजह से इस मुकाम तक पहुंचा हूं। इस बीच सतपाल ने अपने शिष्य का ओलपिंक पदक जीतना खुद के लिए सबसे बडा पुरस्कार बताया। उन्होंने कहा द्रोणाचार्य पुरस्कार का फैसला सरकार को करना है।

लेकिन मुझे तो सबसे बडा पुरस्कार सुशील ने ओलंपिक पदक जीतकर दे दिया है। एशियाई खेल 1982 में स्वर्ण पदक जीतने वाले सतपाल ने कहा कि मेरी शुरू से दिल्ली ख्वाहिश रही थी कि मेरा कोई शिष्य ओलंपिक पदक जीते। सुशील को मैं पिछले 14-15 साल से छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती सिखा रहा हूं और अब भी मेरा उद्देश्य ओलंपिक में देश को आगे बढाना ही है।
उन्होंने कहा कि मेरे पास अब भी 52 अंतरराष्ट्रीय पहलवान है। मुझे पूरा भरोसा है कि सुशील अगले ओलंपिक में बीजींग से भी बेहतर प्रदर्शन करेगा। मेरे कुछ और शिष्य भी मुझे ओलंपिक पदक के रूप में पुरस्कार देगे। भारतीय कुश्ती महासंघ ने पिछले साल भी द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए सतपाल के नाम की सिफारिश की थी।

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